આજ રોજ ભૂતપૂર્વ વડાપ્રધાન મોરારજી દેસાઈની ૧૧૪મી જન્મ જયંતિ સમગ્ર દેશમાં ઉજવવામાં આવી.ગુજરાતમાં તેમની સમાધિ સ્થળ અભય ઘટ ખાતે તેમને શ્રદ્ધા સુમન અર્પણ કરાયા. આ પ્રસંગે ગુજરાત વિધાન સભાના અધ્યક્ષ અશોક ભટ્ટ, ગૂજરાત વિદ્યાપીઠના કુલનાયક સુદર્શન આયંગર,કુલસચિવ રાજેન્દ્ર ખીમાણી,સાહિત્યકાર મનસુખ સલ્લા તથા ગૂજરાત વિદ્યાપીઠના સેવકો અને વિદ્યાર્થીઓ ઉપસ્થિત રહ્યા હતા.
મોરારજી દેસાઈ એક અદભુત વ્યક્તિત્વ હતું.તેનો જન્મ દિવસ વિચિત્ર પ્રકારનો છે. ઘણાને જાણ નહિ હોય કે તેનો જન્મ દિવસ દર ચાર વર્ષે આવે છે! જી હા!તમે સાચું જ વાંચ્યું મોરારાજીનો જન્મ ૧૮૯૬ની ૨૯ ફ્રેબુઆરીએ વલસાડ જીલ્લાના ગામે થયો હતો.તેઓ બાળપણથી જ નીડર વ્યક્તિત્વ ધરાવતા હતા.તેઓ ચુસ્ત ગાંધીવાદી હતા.ગાંધી વિચાર સરની ને વરેલા એટ. ગાંધીજીના અગિયાર વ્રતો પણ તેઓ પડતા હતા,તેમાં પણ સત્ય અને અભય તો તેના જીવન સાથે વણાયેલા હતા. આ માટે જ તેમની સમાધિ સ્થળનું નામ અભયઘાટ રાખવામાં આવ્યું હતું.તેના આ સત્યતાને કારણે જ તેને અનેક લોકો સાથે ભળતું ન હતું.
2/28/10
2/19/10
आत्मविश्वास की उडान
आत्मविश्वास में बहुत शक्ति होती है। आत्मविश्वास सफलता की कुंजी होती है। आत्मविश्वास किसी भी परिस्थिति में उचित निर्णय लेने का साहस प्रदान करता है।जिनमे आत्म्विसवास नहीं है उनका जीवन सार्थक नहीं है| आत्मविश्वास के बल पर ही आदमी आगे बढ़ता है और कामयाबी के शिखर सर कर शकता है| हम अतीत में नजर डाले तो पता चलता है की, जो लोग जीवन में आगे बढे है उसने विपरीत काल में भी आत्मविश्वास को नहीं छोड़ा था| उसका सबसे बड़ा उदहारण है, भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन जिसने अपने जीवन में कई चुनावी नतीजो में हार का सामना करना पड़ा फिर भी वह न हारे उसने अपनी हिमत नहीं खोयी और आखर में वह अमरिका के राष्ट्रपति बन ही गये|
बुरे वक्त में हमें घबराना नहीं चाहिए पर उससे कैसे बहार निकला जाये यह सोचना चाहिए नहीं के यह सोचकर हम पीछे हट जाये के अब मै क्या करू जो होना था सो हो गया अब उससे कैसे निपटा जाये यह सोचना जरुरी हैजिसमे समस्या से जुजने की शक्ति नहीं है उससे तो अच्छा तो वह पंछी होता है, जो शिकारी के तीर से घायल हो जाने पर वही नहीं बैठा रहेता वह भागने की हिम्मत तो करता है, फिर भले ही उसे उसमे सफलता मिले या विफलता अतीत में नजर घुमाये तो पता चलता है की लोग उसे ही याद करते है जिसने अपने जीवन में हारनहीं मानी और हिम्मत से कम किया है| अब हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को ही लीजिये उसने ऐसा सोचा होता की में अकेला कैसे देश को स्वतंत्रता दिलवा शकता हु| तो क्या हम अब भी स्वतंत्र हुए होते ऐसे तो कई लोग है जिसने अपने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी और विपरीत समय में रास्ता निकाला
ईश्वर हमें सदैव जीवन में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है, परन्तु जिसमें अपनी योग्यता का विश्वास न हो, उसके हाथ से अवसर निकल जाता है।हमे अपने आपको कभी छोटा महसूस नहीं करना चाहिए, क्योकि हर व्यक्ति कोई न कोई विषय में निपुण होता हैफर्क सिर्फ इतना ही होता है की उसको जीवन में कोई ऐसा चान्स नहीं मिला होताजीवन में दुःख आने पर हमें अपना संयम रखना चाहिएक्योकि सुख और दुःख जीवन के दो पहलु होते है, दुख और सुख दुःख के बाद सुख और सुख के बाद दुःख आता है| हर एक को लगता है की मेरा दुःख सबसे ज्यादा है| कभी सोचा है की जिसे पैदा होने से ही सडक के किनारे पे छोड़ दिया होता है उसकी जिंदगी कैसे कटती है| कभी सोचा है की ऐसे कई बच्चे है जिसको दो दिन में एक ही बार खाना नसीब होता है उस नवोढ़ा के बारे में सोचा है जिसकी शादी के दो दिन बाद ही उनका सुहाग उजल गया है कोई कहने का तात्पर्य यही है की जीवन में हर न हर कोई समस्या आती रहती है| देखना यही है के हम अपने उस सदमे से बहार कैसे निकलते वंही काम आता है, हमारा अपना आत्मविश्वास उसके ही बल बूते पर ही हम आगे बढ़ सकते है
बुरे वक्त में हमें घबराना नहीं चाहिए पर उससे कैसे बहार निकला जाये यह सोचना चाहिए नहीं के यह सोचकर हम पीछे हट जाये के अब मै क्या करू जो होना था सो हो गया अब उससे कैसे निपटा जाये यह सोचना जरुरी हैजिसमे समस्या से जुजने की शक्ति नहीं है उससे तो अच्छा तो वह पंछी होता है, जो शिकारी के तीर से घायल हो जाने पर वही नहीं बैठा रहेता वह भागने की हिम्मत तो करता है, फिर भले ही उसे उसमे सफलता मिले या विफलता अतीत में नजर घुमाये तो पता चलता है की लोग उसे ही याद करते है जिसने अपने जीवन में हारनहीं मानी और हिम्मत से कम किया है| अब हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को ही लीजिये उसने ऐसा सोचा होता की में अकेला कैसे देश को स्वतंत्रता दिलवा शकता हु| तो क्या हम अब भी स्वतंत्र हुए होते ऐसे तो कई लोग है जिसने अपने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी और विपरीत समय में रास्ता निकाला
ईश्वर हमें सदैव जीवन में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है, परन्तु जिसमें अपनी योग्यता का विश्वास न हो, उसके हाथ से अवसर निकल जाता है।हमे अपने आपको कभी छोटा महसूस नहीं करना चाहिए, क्योकि हर व्यक्ति कोई न कोई विषय में निपुण होता हैफर्क सिर्फ इतना ही होता है की उसको जीवन में कोई ऐसा चान्स नहीं मिला होताजीवन में दुःख आने पर हमें अपना संयम रखना चाहिएक्योकि सुख और दुःख जीवन के दो पहलु होते है, दुख और सुख दुःख के बाद सुख और सुख के बाद दुःख आता है| हर एक को लगता है की मेरा दुःख सबसे ज्यादा है| कभी सोचा है की जिसे पैदा होने से ही सडक के किनारे पे छोड़ दिया होता है उसकी जिंदगी कैसे कटती है| कभी सोचा है की ऐसे कई बच्चे है जिसको दो दिन में एक ही बार खाना नसीब होता है उस नवोढ़ा के बारे में सोचा है जिसकी शादी के दो दिन बाद ही उनका सुहाग उजल गया है कोई कहने का तात्पर्य यही है की जीवन में हर न हर कोई समस्या आती रहती है| देखना यही है के हम अपने उस सदमे से बहार कैसे निकलते वंही काम आता है, हमारा अपना आत्मविश्वास उसके ही बल बूते पर ही हम आगे बढ़ सकते है
2/4/10
વિવિધ ક્ષેત્રે મળતા એવોર્ડ્સ
નોબેલ પુરસ્કાર
સંગીત- ફિલ્મ ક્ષેત્રના પુરસ્કાર
ગ્રેમી પુરસ્કાર
બાફટા પુરસ્કાર
કાન ફિલ્મોત્સવ
દાદા સાહેબ ફાળકે
ફિલ્મફેર પુરસ્કાર
આઈફા એવોર્ડ
રાષ્ટ્રીય ફિલ્મ પુરસ્કાર
- રમત-ગમત ક્ષેત્રે અપાયેલા એવોર્ડો
દ્રોણાચાર્ય એવોર્ડ
રાજીવ ગાંધી એવોર્ડ
ધ્યાનચંદ એવોર્ડ
આંતરરાષ્ટ્રીય ક્રિકેટ પરિષદ ( ICC) 2008-09 ના એવોર્ડો
શતરંજ ઓસ્કાર એવોર્ડ
- ભારત સરકાર દ્વારા અપાતા વિશિષ્ટ એવોર્ડો
ભારતરત્ન
પદ્મવિભૂષણ
પદ્મભૂષણ
પદ્મશ્રી - શોર્ય અને બહાદુરી માટે અપાતા એવોર્ડ
અશોકચક્ર
પરમવીર ચક્ર
મહાવીર ચક્ર
કીર્તિ ચક્ર
શોર્ય ચક્ર - સાહિત્ય ક્ષેત્રે અપાયેલા એવોર્ડો
મેન બુકર પ્રાઈઝ
જ્ઞાનપીઠ
ઇન્દુ શર્મા કથા
વ્યાસ સમ્માન
વાચસ્પતિ પુરસ્કાર
સરસ્વતી સમ્માન - સૌંદર્ય પ્રતિયોગીતા : 2009
મિસ ઇન્ડિયા વર્લ્ડ વાઈડ
મિસ ઇન્ડિયા વર્લ્ડ
મિસ ઇન્ડિયા યુનિવર્સ
મિસ યુનિવર્સ
મિસ ઇન્ડિયા અર્થ
મિસ અર્થ
ગ્લેડરૈગ્સ મિસેજ ઇન્ડિયા
પૈંટાલૂન મિસ ઇન્ડિયા - શાંતિ-સમાજ સેવા માટે અપાયેલા એવોર્ડો
રેમન મૈગ્સેસ અવોર્ડ
ઇન્દિરા ગાંધી આંતર રાષ્ટ્રીય પુરસ્કાર
ઇન્દિરા ગાંધી રાષ્ટ્રીય પુરસ્કાર
ગાંધી શાંતિ પુરસ્કાર
જવાહર લાલ નહેરુ પુરસ્કાર - પત્રકારત્વ ક્ષેત્રે અપાયેલ એવોર્ડ
પુલિત્ઝર એવોર્ડ
ગુઈલેર્મો કાનો પ્રેસ ફ્રીડમ એવોર્ડ
2/1/10
रहमान की 'जय हो'
हाल ही में २०१० ग्रेमी अवोर्ड कि घोषणा कि गई| जिसमे रहमानने दो ग्रेमी अवोर्ड जीतकर विश्वमे भारत का डंका बजा दिया है| उल्लेखनीय है कि 1958 ग्रैमी अवार्ड की शुरूआत हुई थी। तब से ले कर आज तक कोई भी भारतीय यह सम्मान प्राप्त नहीं कर सका है| रहमान ने ग्रेमी अवोर्ड जीतकर भारतका डंका पुरे विश्वमे बजाया है| हिंदी फिल्मो को रहमान जेसे संगीतकार कि आवश्यकता है| ग्रेमी अवार्ड को संगीत की दुनिया के नोबेल पुरस्कार के बराबर माना जाता है। अगले साल रहमानने स्लमडॉग मिलेनियर के लिए ऑस्कर पुरस्कार जीता था| इस साल रहमान ने 52वें ग्रेमी समारोह में दोहरी कामयाबी हासिल की है। रहमान को स्लमडॉग मिलेनियर के गीत 'जय हो' के लिए बेस्ट साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो अवार्ड मिले। लगता है कि रहमान संगीत के लिए ही बना हुआ है| ऑस्कर और गोल्डन ग्लोब के बाद ग्रेमी पुरस्कारों में भी स्लमडॉग मिलेनियर के गीत 'जय हो' का जलवा छा गया है|
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